एक बार देवी पार्वती अपनी सखियों के साथ बातचीत के दौरान जोर से हंस रही थीं। कि तभी उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष उत्पन्न हुआ। पार्वती ने उसका नाम मम (ममता) रखा। मम वन में तप के लिए चला गया। वहां उसे शंबरासुर मिला। शंबरासुर ने उसे कई आसुरी शक्तियां सिखा दीं। उसने मम को गणेश की उपासना करने को कहा। मम ने गणपति को प्रसन्न कर ब्रह्माण्ड का राज मांग लिया। ममासुर ने भी अत्याचार शुरू कर दिए और सारे देवताओं के बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। तब देवताओं ने गणेश की उपासना की। गणेश विघ्नराज के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर का मान मर्दन कर देवताओं को छुड़वाया।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ..
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें ..
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ..
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन ..
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महा ..
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ..
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